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उमस के कारण धान की अगेती फसल में पत्ता लपेट सुंडी का प्रकोप, समय रहते उपचार कर लें किसान, ऐसे करें बचाव

अभी पौधे कमजोर होने से नुकसान होने का अंदेशा, तने में लगता है कीड़ा 

धान की अगेती फसल पर पत्ता लपेट सुंडी ने हमला कर दिया है। जबकि यह रोग सितंबर में लगता है। विशेषज्ञों के अनुसार उमस भरा मौसम रहने के कारण रोग का प्रकोप हुआ है। फिलहाल पौधों की जड़ें कमजोर होने से नुकसान ज्यादा भी हो सकता है। जुलाई में पिछले 15 दिनों से अच्छी बारिश नहीं हुई है। किसानों से जैसे-तैसे सिंचाई के साधन जुटाकर कुछ अगेती फसल की रोपाई की है।

हरियाणा में अभी तक करीब 90 हजार हेक्टेयर के क्षेत्रफल में अगेती फसल की रोपाई कर पाए हैं। जबकि अधिकतर क्षेत्रफल में रोपाई किया जाना बाकी है। इसमें भी शुरुआत में ही रोग का प्रकोप हो गया है। कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने रोग को फैलाने वाले कीड़े को देखकर किसानों को अलर्ट किया है। इसमें प्रदेश में विभिन्न जगहों पर रोग फैलाने कीड़े पाए गए हैं। फिलहाल इस रोग का निदान नहीं किया गया तो नुकसान अधिक होगा। अभी पौधों को जड़ें पूरी तरह मजबूत नहीं हुई हैं।

बारिश की कमी से कीड़ा पैदा होकर पहुंचाता है नुकसान
कृषि विज्ञान केंद्र पर पौध विस्तार विशेषज्ञ डॉ. रामकरण बताते हैं कि सितंबर में कम बारिश होने से कुछ समय के लिए लगातार उमस बनी रहती है। यही समय इस कीड़े के पैदा होने का अनुकूल समय है। इसीलिए इसी समय पर यह कीड़ा पैदा होकर नुकसान पहुंचाता है। लेकिन इस बार जुलाई माह की शुरुआत से बारिश नहीं हुई है। इस बीच उमस में पत्ता लपेट सुंडी नामक कीड़ा पैदा हो गया है। इसमें धान के पत्ते सफेद होने लगते हैं। फिर कीड़ा धीरे-धीरे तने में छेद कर देता है। कुछ ही समय में कीड़े खेत को चट कर जाते हैं।

ऐसे करें बचावः विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर फसल में रोग का प्रकोप हो गया है तो टोमोमी के नाम से मिलने वाली 50 ग्राम दवाई को 200 लीटर पानी में मिला लें और इसका छिड़काव एक एकड़ में करें। इसके अलावा दूसरी फरटेरा नामक 5 किग्रा. दवाई को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इससे रोग की रोकथाम होगी।

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